तकनीकी विकासों से आज दुनिया कि किस्सी भी कोने में बसे व्यक्ति से सिर्फ बात करना ही नहीं , परन्तु मिलना भी आसान हो गया है। कुच्छ ही मिन्टो में हम दुनिया के एक कोने से दुसरे कोने तक पहुच सकते है। इन तकनीकी विकासों ने वक़्त और मीलो के अर्थ को भस्म कर दिया है। केमरा द्वारा एक दुसरे को देखकर ऐसा महसूस होता है कि दोनो देशो के बीच एक मेज या कुर्सी का फासला है - यही है तकनीको का कमाल!
आज कल व्यापार में प्रतियोगिता इतनी बड़ गयी है कि पैसों के मामलो में बहुत होशियार रहना पड़ता है । इसलिये अमरीका और इंग्लैंड जैसे देशो में व्यापर करने वाले दुसरे देशो से सस्ते में अपना काम निपटा लेते है और कम दाम पर व्यापारी करते हैं। इस तरह कि व्यापर को अंग्रेजी में आउटसोर्सिंग कहते हैं। कुछ महीनों पहले मैंने एक ऐसे ही व्यापर करने वलुए कम्पनी में काम किया - सिस्को स्य्स्तेम्स। हम सुबह को काम पर जाते थे लेकिन हर भुध्वार के शाम ठीक आठ बजे हमारा बंगलोर में बसे एक कम्पनी के साथ बैठक होती थी - मेरे काम करने वाले कम्पनी से दी चार व्यक्ति ने भारत जाकर उनसे मुलाक़ात कर ली थी और कम पसंद आने पर उनको काम सौप दी थी ।
आउटसोर्सिंग आज कि दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण हैं और भाग लेने वाले दोनो देशो कि लिये लाब्दार हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
हाँ पर इससे हमारी रातों की नींद खूब हराम होती है।
मेरे ग्राहक के यहाँ जब सुबह नौ बजे होते हैं, तो यहाँ सुबह के साढ़े दस हो चुके होते हैं। और जब तक वह लोग दफ़्तर से निकलते हैं, यहाँ नौ, साढ़े नौ रात के हो चुके होते हैं। :(
पर क्या करें पापी पेट का सवाल है।
आलोक
एक टिप्पणी भेजें