वैसे तो मैं शिकगो और न्यू यार्क जैसे बड़े शेहेरों को घूम चूका हूँ परन्तु कभी भी रहा नहीं | यही नहीं पर इस बार सियाटेल जैसे बडे और सुंदर शेहेर मैं मुझे आपना सारा इन्तिजाम खुद ही करना था | दोस्त और रिश्तेदार हजारो मील तक नहीं थे केवल मेरे कालेज के कुछ छात्र जिनसे मुझे एवेरेट के बारे मैं सलाह मिली | सियाटेल की आबादी भी काफी आधिक मालूम पड़ती और पाँच बजे के याता यात में गाड़ी में फेस मुजे इस नए शेहेर की लय कुछ कुछ समझ में आने लगा |
एवेरेट मैं मैंने एक महीने पहले से ही अपार्टमेंट का बंदबस्त कर लिया था , और यही नहीं बलकी अपने कोलेज के दो छात्रों को भी साथ रहने के लिए फिट कर लिया | इस तरेह रहने का खर्चा बिलकुल आधा से भी कम हो गया और आकेलापन भी नहीं महसूस होता | पास ही मैं पुलिस थाना भी था जिस्से देख कर सुरक्षा का महसूस हुआ|
कॉम्पलेक्स के पीछे ही गरोसरी खरीदने के लिए डिपार्टमेंट स्टोर था जिधर पैदल जाया जा सकता था और उसके साथ ही पिक्चर थिएटर, रेस्तौरांत, और अन्य दुकानें थी | इसके अलावे मैं तुरंत आपने काम करने के स्थान, बोयेंग को खोज लेने निकल गया ताकि सुबहे सुबहे जलदी में खोजना नही पड़े| वैसे तो ओरिएनटेशन जो आगले दिन होने वाला था उसके लिए वापस सियाटेल जान पड़ा |
पहला दिन कुछ आजिब ही बीता, न वहाँ कोई फर्नीचर थी न कुछ | केवल खाली कमरे जिनसे एक में मेरे गाड़ी से उतारे गए बक्से | आपने अपार्टमेंट में तीनो लोगों में से सबसे पहले में ही एवेरेट पहुँचा | दूसरा लड़का, जिसका नाम माईकेल था , वेह चार पाँच दिन के बाद पहुँचने वाला था | और तीसरा लड़का, जिसका नाम प्रीत था, उससे तो मुलाक़ात पूरे एक महीनों तक नहीं हुई | इसलिए कि में पहले पहुँचा, फर्नीचर, केबल, इनटरनेट आदि का बंदोबस्त मुझे ही करना पड़ा | वैसे तो मुझे वैसा ही चाहिये था क्योंकि इस तरह सारा महीने के खर्चों का हिसाब किताब का ज़मीदार में था | उनलोगों के साथ रहने के बाद मुझे यकीन हुआ कि मेरा फैसला बिलकुल ठीक था | माइकेल को रोज के रेहेंन सेहेंन के बारे में कम ही मालूम था और प्रीत तो जदातर आपने ही दुनिया मी रहता था | खैर जब तक वेह दोनों अपने अपने रेंट और अन्य खर्चों को समय पर चूका देते, इस मामले मे मुझे उनसे कोई झंझट नहीं मिली |
गुरुवार, 25 अक्तूबर 2007
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1 टिप्पणी:
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